गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल में मुस्लिम महिलाएं सबसे आगे
भारत में मुस्लिमों की आबादी हमेशा विवादों के घेरे में रही है और देश का एक तबका इस विवाद को लगातार हवा देने में भी जुटा रहता है मगर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के चौथे दौर के आंकड़े इस समुदाय को लेकर फैली भ्रांतियों को बहुत हद तक दूर करते हैं। इन आंकड़ों की मानें तो देश में गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल में मुस्लिम महिलाएं दूसरे धर्म की महिलाओं से बहुत आगे हैं।
हाल ही में जारी हुए इन आंकड़ों के अनुसार मुस्लिम समाज में गर्भनिरोधक के किसी न किसी तरीके का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में 8.1 फीसदी महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं जबकि हिंदू धर्म को मानने वाली महिलाओं में यही आंकड़ा सिर्फ 3.4 फीसदी है। ईसाई समुदाय की महिलाओं में गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल सिर्फ 3.2 फीसदी महिलाएं करती हैं। सिख, बौद्ध और जैन समुदाय की महिलाओं में इन गोलियों का इस्तेमाल क्रमश: 2.6, 3.4 और 1.5 फीसदी है।
वैसे अगर धर्म अनुसार यह देखा जाय कि किस धर्म की सबसे अधिक महिलाएं गर्भनिरोधक के किसी न किसी तरीके का इस्तेमाल करती हैं तो इसमें सिख धर्म सबसे आगे और मुस्लिम सबसे पीछे हैं। सिख महिलाओं का 73.9 फीसदी और मुस्लिम महिलाओं का 45.3 फीसदी हिस्सा गर्भनिरोधक के कोई न कोई उपाय इस्तेमाल करता है। फिर चाहे वो गोलियों हों, कंडोम हो, इंजेक्शन हो या ऑपरेशन। ईसाई धर्म की 48.8 फीसदी महिलाएं किसी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल नहीं करतीं। मुस्लिम महिलाओं का 54.7 फीसदी हिस्सा किसी भी तरह के गर्भनिरोधक का इस्तेमाल नहीं करता।
हालांकि इसके पीछे कोई धार्मिक कारण तलाश करना शायद उचित नहीं होगा क्योंकि इसी सर्वेक्षण में महिलाओं के आर्थिक स्थिति के अनुसार गर्भनिरोधक इस्तेमाल के आंकड़े सारी सच्चाई सामने रख देते हैं। सर्वे के निष्कर्षों के अनुसार समाज के सबसे गरीब तबके की महिलाओं में 58 फीसदी हिस्सा किसी भी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल नहीं करता जबकि सबसे अमीर महिलाओं में गर्भनिरोधक इस्तेमाल नहीं करने का प्रतिशत सिर्फ 40 है। मध्यम वर्ग गर्भनिरोधक इस्तेमाल नहीं करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 44 फीसदी से थोड़ा अधिक है।
साफ है कि गर्भनिरोधक इस्तेमाल करने या नहीं करने में आर्थिक हालात बहुत बड़ा कारक हैं और इस देश में मुस्लिम समाज की आर्थिक हालत किसी से छिपी नहीं है। दूसरी ओर सिख समाज में इसके सबसे अधिक इस्तेमाल की वजह भी इसी से स्पष्ट हो जाती है क्योंकि वो समाज देश के सबसे संपन्न समाजों में शुमार किया जाता है।
Comments (0)
Facebook Comments (0)